याद ऐसे सता रही है
याद ऐसे सता रही है
मुझको तुम्हारी याद ऐसे सता रही है
तुम हो यहीं कहीं पे खुशबू बता रही है
जो कुछ चल रहा है दिल में तुम्हारे वो सब
बातें तुम्हारी सूरत मुझको बता रही है
सिमटे हुए से पलकों में ख़्वाब है तुम्हारे
ज़ालिम ये नींद लेकिन उनको मिटा रही है
महरूम हूँ मैं अब भी आगोश से तुम्हारी
तू ही बता दे अब क्या मेरी ख़ता रही है
आंगन में मेरे तुमने खुशबू जो है बिखेरी
ख़्वाहिश मेरी पता है ऐसा जता रही है
राकेश नफरतों से मैं हारता रहा हूँ
उल्फत तुम्हारी लेकिन मुझको जिता रही है