वसंत
वसंत
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वसंत का हुआ है आगमन
प्रफ़ुल्लित है जैसे प्रकृति का मन
दमक रहा धरती का आंगन
हर बगिया है जैसे गुलशन ।।
पंछी चहके, कमल खिले
चमक उठी हैं सब फसलें
सरसों के पीले फूल लहराए
शोर मचाएं ठंडी हवाएँ ।।
ये जीवन भी तो इन ऋतुओं सा है
कभी बसंत, कभी पतझड़ सा है
हर मोड़ पर अलग सबक़ सीखाता
जिसे हर कोई ना समझ पाता ।।
मेरे जीवन में भी बसंत जल्दी आए
पतझड़ में झड़ी ख़ुशियाँ लौट आएँ
दुःख की चादर यूँ उड़ जाए
सुखों के बादल छा जाएँ ।।
पंछियों की तरह हम चहचहाएँ
मुरझाई कलियाँ यूँ खिल जाएँ
होठों पर सरसों सी मुस्कान लहराए
नई उमंगें दस्तक लाएँ।।