वक़्त कुछ कहता है
वक़्त कुछ कहता है
वक्त आने से पहले
औऱ जाने के बाद
आहट जरूर देता है,
हमनें दरवाजा खोल दिया
तो हमारे साथ चल देता है
वरना
आगे बढ़ जाता है।
ग़लत कहता है इंसान
कि वक़्त बदल जाता है,
असल में वो ख़ुद ही
बदला हुआ होता है।
वक़्त की बराबरी करना
मुमकिन नहीं है,
मगर उसके साथ चलना
मुश्किल नहीं है।