वक़्त को भी चाहिए वक़्त
वक़्त को भी चाहिए वक़्त
वक़्त को भी चाहिए वक़्त, घाव भरने के लिए
ज़ख्म कितने है लगे, हिसाब करने के लिए
बस दवाओं से हमेशा, बात बनती है नहीं
एक दुआ भी चाहिए, असर दिखाने के लिए
खींच लेता हैं समंदर, लहरों को आगोश में
सागर तो होना चाहिए, सैलाब लाने के लिए
पानी में डूबा हुआ, लोहा कभी सड़ता नहीं
बस हवा हीं चाहिए, उसे जंग खाने के लिए
खो देते है शान भी, तलवार म्यान में रखे
दुश्मन तो होना चाहिए, इंतकाम के लिए
बर्फ जम जाते है, वीरों के भुजाओं पर
एक आग होनी चाहिए, जंग लड़ने के लिए
बिन जले भट्ठी में सोना, कुंदन कभी बनता नही
फौलाद को भी तपना पडा है, हथियार बनने के लिये
चोट के बिना कभी, शैल मूरत बनती नहीं
घिसना पडा है पत्थर को भी, हीरा कहलाने के लिये
दर्द के बिना कहो किसको सुकूं मिला यहाँ
एक चोट भी तो चाहिये तज़ुरबा पाने के लिये
हम वफ़ाई का सबक औरों को सिखाए क्या
सनम तो होना चाहिए बेवफाई के लिए।