वो
वो
कोरे कागज़ पे वो अपनी
तकदीर लिखने चली थी
डूबोया था
स्याह में कलम कि
हाथो में
जंजीर बंध चुकी थी
ना वो जंजीर तोड़ पायी
ना वो तकदीर लिख पायी
दोनो के बीच
खुद को वो कहीं छोड आयी...
कोरे कागज़ पे वो अपनी
तकदीर लिखने चली थी
डूबोया था
स्याह में कलम कि
हाथो में
जंजीर बंध चुकी थी
ना वो जंजीर तोड़ पायी
ना वो तकदीर लिख पायी
दोनो के बीच
खुद को वो कहीं छोड आयी...