वो सतरंगी पल
वो सतरंगी पल
कोरे दिल में मेरे मनमीत का जब वास हुआ
कैसे इज़हार करूँ उस पल में क्या क्या हुआ!
मन की पूरी मस्ती से उस पल को समर्पित हुई
खो गयी खयालों में, न जाने कैसा जादू हुआ!
वह पल, वह लम्हा या एक युग बीता समझो
जिसमें मेरा हर अरमान शर्म से जवान हुआ।
जवानी की दहलीज पर एक आगाज़ हुआ
प्रेम की परिभाषा का अद्भुत एहसास हुआ।
उसी पल अपनी रूह को उसमें ही रंग दिया
बचपन के प्यारे पलों को वहीं कुर्बान किया।
मदहोश, मदमस्त बहार ने दीवाना बना दिया
प्यार की अठखेलियों ने सब कुछ भुला दिया।
वो सतरंगी पल आज भी मेरे साथ साथ हैं
जिनकी महक से मेरा मन उपवन महका है।
उन पलों को याद कर मन मयूर नाचता है
दिल आज भी प्रेम भरे मधुर गीत गाता है।