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Manisha Wandhare

Abstract

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Manisha Wandhare

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वो सह ना पाया

वो सह ना पाया

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जब खुली आँखें हमरी,

खुदको टूटके बिखराँ पाया,

समेटने की भी ना चाह थी दिल में,

युही जमीनसे लिपटा पाया...


देखकर हमें छटपटाते,

वो देखकर रह ना पाया,

संभालो खुदको फैसला यही है,

और गम वो दे ना पाया ...


हम राजी किसी हालात के लिये,

और हालातों को वो नासूर कर ना पाया,

आह निकलती रही हमारी उस मोड पर,

जहाँ वो हमे संग ले ना पाया ...


माफ तो हमने उनको कबका कर दिया,

माफ वो खुदको कर ना पाया,

हम तो जमीनसे लिपटे फिरसे लहराने लगे,

वो रूलाके हमें खुश रह ना पाया ...


ये कभी ना मांगा हमने दुआ में,

उसे जिंदगीमें खुशियों से दूर ना पाया,

हम तो उसक लिये खुशियाही मांगते रहे दुआ में,

न जाने क्यो वो कभी खुश रह ना पाया ...


मैं भुत हूँ उस का,

आज का मेरा अस्तित्व वो सह ना पाया,

उजड़ जाऊँ मैं जुदाई मे सोचा उसने,

मुझे लहरातें देख वो सह ना पाया ...


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