वो पिता ही होते
वो पिता ही होते
वो पिता ही होते
जो खामोश रहते हैं
जो बच्चों के खातिर
सब कुछ सहन कर जाते।
वो पिता....
बच्चे कितने भी हो
हर बच्चे की ख्वाईशे पूरी करते
तप कर धूप मे
बहाकर अपना पसीना
हमारे लिए 4 रुपये कमाते
वो पिता ...
माँ के डांटने पर
माँ को चिल्लाते क्यो चिल्लाती हो
अरे ये बेटी कितने दिन हमारे पास रहेगी
एक दिन तो अपने घर चली जानी है
हर बार माँ की डांट से मुझे बचाते
वो पिता....
जब भी मै उदास बैठती
आकर मुझे अपने सीने से लगाते
कहते बेटा क्यों रोती
तेरे रोने से मेरी आँखें भर आती
खुद छुप छुप कर रोते
मुझे कभी ना रोने देते।
वो पिता...
खुद धूप में तपते
मुझे ए सी कूलर में सुलाते
जब खुदको ए सी की जरूरत पड़ी
खुद गर्मी में अपना पसीना बहाते।
वो पिता....
सपने मेरे होते ,हर सपने में
हर मोड़ पर ,हर परिस्थितियों में
मेरे डाल बनकर ,मेरा मार्गदर्शन करते।
वो पिता....
मै तो सिर्फ ,अपनी खुशियों के लिए
हँसती थी पर वो मेरी खुशियों में
अपना गम भूल जाते।
वो पिता......
दुनिया में कोई किसीका नही होता
दुनिया सिर्फ पैसे से चलती
पैसे कमाने का हुनर मुझे सिखाते।
वो पिता.....
घर में सबने मुझे अपनी अपनी जगह प्यार दिया
पर मुझे अपनों से ज्यादा
मेरे लिये एक दोस्त
एक माँ का लाड़ प्यार
से भरपूर मेरा लालन पोषण करते।
वो पिता....
पेड़ कभी अपना भोजन खुद नही खा सकते
इसलिए अपना फल मुझे देकर
अपना पेट खाली रखते
मेरी देखभाल करते।
वो पिता.....
बेटी का करके कन्यादान
रोते है छुपके छुपके,देते लाखो दुआएं
सुना कर चली ,मेरी गलियां
बेटा मेरी चिंता नही करना
अपने परिवार को ,बनाये रखना।
वो पिता....
मेरे लिये मेरे पिता मेरी प्रेणना है
पिता है तो मेरे चेहरे पर मुस्कान है।
वो पिता......
पिता ने ही मुझे सिखाया
परिस्थिति चाहे कुछ भी हो
कभी ना तुम हार मारना
चलते रहना अपने पथ पर
कभी तो एक दिन मंज़िल तक
पहुँच जाओगी।
वो पिता....
कोई भी आँखे फाड़कर तुमको देखे
उसको तुम छोड़ना नहीं
हिसाब लेलेना तुम अपने हक का
तुम भी किसी की बेटी हो
बेटी कभी किसी से कम नही होती
ये भी साबित करदेना तुम।
वो पिता ......