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Prashant Kaul

Romance

3  

Prashant Kaul

Romance

वो नमी

वो नमी

1 min
381


बहुत दिनों तक फोन पर बातें

होती रही हमारी

फिर लगा कि अब मिलना चाहिए


ना जाने तुम्हारे दिल में क्या था 

पर हमारा इरादा तो बस तुम्हें

देखने का था


प्यार जैसा कुछ था नहीं तब

हमारे बीच

बस एक खिंचाव सा था जो

दिल में आग की तरह जलता था


फिर वो दिन आया जिस दिन

हम पहली बार मिले

तुम्हारी आँखें अब भी याद हैं 

जिनमें प्यार तो था पर नमी भी

थी कहीं


वो कुछ महीने जो तुमने गुजारे

उस नमी के साथ

वो अब भी गुजरे नहीं जाने क्यों

ऐसा लगता है

हम तब भी बेपरवाह थे जैसे अब हैं

पर वो नमी अब भी हमें खलती है


मिलकर तुम्हें यूं लगा था कि

तुम्हारे साथ

जरूर जिंदगी का कुछ वक्त

तो गुजरेगा

पर उस समय मालूम ना था

कि तुम ही जिंदगी हो


बड़ी खूबसूरत है यह

जिंदगी बेशक

पर कुछ दिनों से रंगों में

कमी सी लगती है


आ बैठे फिर साथ में पल दो पल

मैं तेरी नमी को अपना बना लूं 

और तू फिर वही जिंदगी बन जा ।।



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