वो नमी
वो नमी
बहुत दिनों तक फोन पर बातें
होती रही हमारी
फिर लगा कि अब मिलना चाहिए
ना जाने तुम्हारे दिल में क्या था
पर हमारा इरादा तो बस तुम्हें
देखने का था
प्यार जैसा कुछ था नहीं तब
हमारे बीच
बस एक खिंचाव सा था जो
दिल में आग की तरह जलता था
फिर वो दिन आया जिस दिन
हम पहली बार मिले
तुम्हारी आँखें अब भी याद हैं
जिनमें प्यार तो था पर नमी भी
थी कहीं
वो कुछ महीने जो तुमने गुजारे
उस नमी के साथ
वो अब भी गुजरे नहीं जाने क्यों
ऐसा लगता है
हम तब भी बेपरवाह थे जैसे अब हैं
पर वो नमी अब भी हमें खलती है
मिलकर तुम्हें यूं लगा था कि
तुम्हारे साथ
जरूर जिंदगी का कुछ वक्त
तो गुजरेगा
पर उस समय मालूम ना था
कि तुम ही जिंदगी हो
बड़ी खूबसूरत है यह
जिंदगी बेशक
पर कुछ दिनों से रंगों में
कमी सी लगती है
आ बैठे फिर साथ में पल दो पल
मैं तेरी नमी को अपना बना लूं
और तू फिर वही जिंदगी बन जा ।।