वो कभी आया ही नहीं
वो कभी आया ही नहीं
बताना तो बहुत कुछ था उन्हें पर,
मैंने कभी भी कुछ बताया ही नहीं।
इसलिए जिंदगी में जिसे आना था,
वह कभी भी आया ही नहीं।
ना बता सके हम उसे कभी भी,
चाहत मेरी आज भी अनजान है।
वो तो नहीं जान सके हमें लेकिन,
उनके नाम पर हम यहाँ बदनाम है।
हमारी यादों ने भी उन्हें आजतक,
शायद कभी भी सताया नहीं।
क्योंकि इस दिल का हाल हमने,
उन्हें कभी भी बताया ही नहीं।
वह नहीं जानते बात मेरे दिल की,
और इसमें सब मेरी ही खता है।
वैसे बताया किसी को नहीं था मैंने
फिर ये जज्बात औरों को कैसे पता है ?
फिर पूछा लोगों से मैंने तो कहने लगे,
जज्बात सच्चा हो तो दिख ही जाता है।
चाह की आग जब दिलों में लगतीं हैं,
तो बिछड़ने वाला भी मिल जाता है।
सोचते है जाने दो अब क्या फायदा !
जज्बात कभी में बयान नही किया जाता,
अगर सब देख सकते हैं चाहत मेरी,
तो क्या उसे नजर नहीं आता ?