वो कैसी लगती है !
वो कैसी लगती है !
वो और उसकी गहरी ऑंखें
कितनी प्यारी लगती है
बड़ी-बड़ी वो ऑंखें बिलकुल
छुरी और कटारी लगती है
जुल्फें उसकी तो जैसे सावन
की उमड़ती घटायें लगती है
होंठ उसके तो जैसे अभी अभी
खिले दो सुर्ख गुलाब लगते है
रंग उसका जैसे बिलकुल सुनहरी
धुप की किरण जैसा ही लगता है
चेहरा उसका तो जैसे पूर्णमासी
का पूरा पूरा महताब लगता है
जिसकी सांसों की खुशबू तो जानो
महकते फूलों पर भी भारी पड़ती है
उसकी वो सच्ची सच्ची ऑंखें तो
सच में बहुत ही प्यारी लगती है
चाल उसकी हिरन के जैसी तो
स्वर कोयल की तान सा लगता है
अंग अंग उसका मदिरालय सा जो
देता मेरे जीवन को नया प्राण है !