वो ज्ञान दे संजीव
वो ज्ञान दे संजीव
हम वतन के रखवाले वतन के पीर है,
सत्य-अहिंसा परम धरम हमारा,
भारतवर्ष की सब हम तस्वीर हैं।।
संघर्ष हमारा नारा विजयी विश्व हमारी मँजिल है,
कदम-कदम जान हथेली जिद हमारी संगदिल है।।
ना वादी ना वाद जनता की आवाज है,
कर्म हमारी भाषा समता को आजाद हैं।।
आज प्रभु की शरण में चला आया हूँ,
कुछ गलितियों की क्षमा याचना चाहता हूँ।।
सत्य का मार्ग दो और सत्य पर जीत,
धन-दौलत मोह-माया मेरे हृदय नहीं जगजीत,
मानव का हो उद्दार मुझे वो ग्यान दे"सँजीव"।