Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

हरि शंकर गोयल

Abstract Inspirational

4  

हरि शंकर गोयल

Abstract Inspirational

वो दोस्ताना

वो दोस्ताना

1 min
334


दोस्ती के दिन वो सुहाने थे 

कॉलेज में अपने अफसाने थे 

हमारी दोस्ती एक मिसाल थी 

अपनी जोड़ी क्या कमाल थी 

साथ रहना, लड़ना झगड़ना 

बहसबाजी चीखना चिल्लाना 

तितलियों का वो पीछा करना 

पटाने के नये नये जतन करना 

बिना देखे काम नहीं चलता 

बतियाते हुए मन नहीं भरता 

साथ सोते साथ साथ जगते 

तैयारी भी हम साथ ही करते 

सुख दुख के हम साथी थे 

जैसे कि दीया और बाती थे 

खुली किताब की भांति थे 

दिल दूल्हा, हम बाराती थे 

इस नौकरी ने हमें अलग किया 

घर गृहस्थी में ऐसा उलझा दिया

वो मस्ताने दिन अब हवा हो गए 

वो हसीन किस्से सब दफा हुए 

दोस्ती की महक आज तक है 

ठहाकों की खनक आज भी है 

समय के साथ हम भी ढल गए 

अब बीवी के ही दोस्त बन गए 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract