वो दोस्ताना
वो दोस्ताना
दोस्ती के दिन वो सुहाने थे
कॉलेज में अपने अफसाने थे
हमारी दोस्ती एक मिसाल थी
अपनी जोड़ी क्या कमाल थी
साथ रहना, लड़ना झगड़ना
बहसबाजी चीखना चिल्लाना
तितलियों का वो पीछा करना
पटाने के नये नये जतन करना
बिना देखे काम नहीं चलता
बतियाते हुए मन नहीं भरता
साथ सोते साथ साथ जगते
तैयारी भी हम साथ ही करते
सुख दुख के हम साथी थे
जैसे कि दीया और बाती थे
खुली किताब की भांति थे
दिल दूल्हा, हम बाराती थे
इस नौकरी ने हमें अलग किया
घर गृहस्थी में ऐसा उलझा दिया
वो मस्ताने दिन अब हवा हो गए
वो हसीन किस्से सब दफा हुए
दोस्ती की महक आज तक है
ठहाकों की खनक आज भी है
समय के साथ हम भी ढल गए
अब बीवी के ही दोस्त बन गए।