वो चुप हैं
वो चुप हैं
वो चुप हैं आजकल....
कुछ बतियाते भी नहीं
ना मचलते हैं, ना हँसते हैं......
अब तो मुस्कराते भी नहीं
ऐ ख़ुदा खुश रख उन्हें.....
पहले की तरह बहने दे
बेबाक बिंदास बेहिचक.....
अपने दिल की बातें कहने दे
मैं साहिल तो नहीं उसका.....
पर गहरा समंदर भी नहीं
मझधार मे छोड़ दूँ कहीं.....
वक़्त का वो मंज़र भी नहीं
हर दुआ उसकी तू कबूल कर दे....
बेनूर हुए रुख मे नूर भर दे
भर दे शोखिया फ़िर वही......
उसे फ़िर से मेरा महबूब कर दे।