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Lokanath Rath

Abstract

3  

Lokanath Rath

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वो और हम.....

वो और हम.....

1 min
190


वो हमें कुछ भी कहे

  हम हम ही तो रहेंगे,

वो कुछ भी ना कहे

  हम भी नहीं बदलेंगे.


वो चाहे हमें भूल जाएँ

  हम तो नहीं भूले,

वो जब हमें दे आवाज

  कियूँ ना आये भले?


वो शायद दूर चले गये

  हम तो है यहीँ,

इतने भी दूर नहीं गये

  हमें वो मिलेंगे नहीं.


चाहे वो लाख कोशिश कर ले

    छुप वो नहीं सकते,

हमें ढूंढने की जरुरत नहीं

   हमारे दिल मे रहते.


कितने तूफान आये चले गये

    वो खुदको संभाल ना पाए,

वो शायद दिशा बदल दिए

    हम तो नहीं कर पाए.


वो बदलके कुछ हासिल किए

    कुछ फिर कहते रहे,

हम हासिल करके नहीं बदले

    कोई कुछ समझें सही.


वो मेहेफिलों को रंगीन करते

   कुछ वाह वाह लुटते,

हमारे आने से महफ़िल बनता

   हम कुछ नगमे सुनाते.


वो अब कुछ अलग करते रहते

    पर हमसे नजर चुराते,

हम कुछ अलग नहीं करते

    पर नजरके सामने रहेते.


अब वो और हम मिलते

   कुछ कहेते, कुछ सुनते,

एक अजनबी जैसे सबको लगते

   पर हम नहीं बदलते.


कभी कभी वो जानकर भी

   अनजान बनते, नाटक करते,

हम सबकुछ देखके चुप रहेते

   समझने को वक़्त देते.


वो तो अब एक कलाकार

   सौरत के पीछे भागते,

हम भी तो एक कलाकार

  जो उनकी कहानी लिखते.


चलो देखते वो क्या करते

   सच तो सच होते,

हम उसीके सहारे आगे बढ़ते

   देखते आगे क्या होते?


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