वो अजनबी से
वो अजनबी से
ना तो मैं बीता कल हूँ
ना वो बिताया पल हूँ
और ना वो, जिसके
होने का एहसास, मुझसे है।
ना मैं वो, डर हूँ
ना मैं वो, फ़िक्र हूँ
और ना वो, जिसके
होने का ज़िक्र, मुझसे है।
ना मैं वो, अहम हूँ
ना मैं वो, स्वयं हूँ
और ना वो, जिसके
होने का वहम, मुझसे है।
मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं हूँ
ना किसी की आदत है
ना किसी से शिकायत है,
और ना किसी की ज़रूरत है
मुझे बस अब मेरी तन्हाई से मोहब्बत है।