STORYMIRROR

Rishabh Tomar

Romance

3  

Rishabh Tomar

Romance

वो आई पर नहीं आई

वो आई पर नहीं आई

1 min
392

वो सर्द रात फिर नहीं आई

उनको हमारी याद नहीं आई


मुद्दतों से उनकी खोज में हूँ

उनकी कोई खबर नहीं आई


रात को मिलने आना था उन्हें

पर वो घर के बाहर नहीं आई


करके वादा वो तो चली गई 

तब से फिर वो इधर नहीं आई


चाँद रातों को चुभता रहा हमें 

शायद इसलिये नींद नहीं आई


खाट बदल बदल गुजारी रातें 

फिर भी रात भर नींद नहीं आई


लाख चाहा था मिन्नतें कर लूँ

वो कली फिर नजर नहीं आई


गालियाँ उदास गुम रहने लगी

वो परी जब नजर नहीं आई


कुदरत को जाने क्या मंज़ूर है

दिल में आई पर घर नहीं आई


मर मर के जिया हूँ अब तक ऋषभ

वो रोज़ आई पर नहीं आई



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance