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Navni Chauhan

Others

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Navni Chauhan

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वक्त

वक्त

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वक्त का तकाज़ा,

उस वक्त समझ आता है,

सुनहरी रेत सा वक्त, 

जब हाथ से फिसल जाता है। 

कोई पल भर में,

नभ चूम लेता है,

कोई तमाम उम्र,

मंजिल पाने की,

हसरत में गुजारता,

नजर आता है।

यूं तो ज्यादा फर्क नहीं,

दो लम्हों,

दो पलों के दरमियान, 

महज़ मेहनत और लगन करते हैं, 

एक नायाब शख्सियत इख्तियार।

यह दस्तूर समझ आए तो,

ज़र्रे से वक्त में कोई, 

इतिहास रच लेता है,

मुकाम हासिल होता है,

और ना समझो तो, 

बस ख्वाबों में काफ़िले,

बुनता दिख जाता है। 

मंजिल पानी है तो, 

एक जुनून चाहिए। 

रगों में दौड़ता, 

जोशीला खून चाहिए। 

हजारों रंग होते हैं,

जिंदगी की तस्वीर में। 

किसी एक रंग में तो, 

वो नूर चाहिए। 

उलझी हुई इस जिंदगी में, 

सुकून चाहिए। 

मंजिल की हसरत में, 

दिल चूर चाहिए।

कर मेहनत, न घबरा,

यदि ख्वाबों की ताबीरी वाला,

गुरूर चाहिए।

हां मुझे सुकून चाहिए।


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