वक्त
वक्त
वक्त अंधा नहीं है सब कुछ देख सकता है
समझ सकता है बस बोलता नहीं है
बोलता है अपने वक्त पर पूरी रिसर्च के साथ
सबका मुँह बंद कर देता है जब वक्त बोलता है
किसी को समझना हो तो समझे
न समझना हो तो न समझें
वक्त अपनी चाल से चलता रहेगा
और सबके सवालों के जवाब वक्त पर
खमोशी से देता रहेगा।