वजह , बेवजह सी है.....
वजह , बेवजह सी है.....
जब आदि ही अंत है तो,
जीना क्या? मरना क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
सुख हो या दुःख हो,
हँसना क्या? रोना क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
एक भोर से रात तलक,
खामोशी क्या? बातें क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
एक ख्वाब के तामीर में,
खुशी क्या? गम क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
इन रिश्तों के खेल में,
अपना क्या? पराया क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
जब प्यार सिर्फ एहसास है तो,
दोस्त क्या? दुश्मन क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
मिट्टी से बने फिर खाक ही हुए तो,
खोया क्या? पाया क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।
जब कर्म ही श्वास है तो पंकज,
धर्म क्या? रीति रिवाज क्या?
एक वजह, बेवजह सी है।