विष्णुपद छंद....
विष्णुपद छंद....
26 मात्रा,16,10 पर यति,अंत 112
गीत सृजन शब्द-मिलन
प्रेम मिलन का पावन पल है,प्रेमिल भाव रहे ।
चलते सम्हलते पग-पग में ,चाह अलाव रहे ।।
प्रेम मिलन का पावन..
जब प्रियतम की प्रेयसी कहे,तुम मम साजन हो ।
प्रेम ग्रंथ से पावन होकर ,वह अनुयोजन हो ।।
देख कृतार्थ सदा मैं होती,प्रेम निरंजन हो ।
धारण कर लूॅं तुमको निज में ,नैनन अंजन हो ।।
हाथ सभी का थामे चलिए,फिर ठहराव रहे...