विश्वासघात है ज़ख्म उम्र भर का
विश्वासघात है ज़ख्म उम्र भर का
विश्वासघात से बढ़कर जग में,
कोई और घात न होता है,
दे जाता है ये ज़ख्म उम्र भर का,
इसका इलाज मुश्किल से होता है।
ज़ख्म भर जाते हैं सारे अक्सर ही,
जो ज़िंदगी से हमें मिलते हैं,
पर विश्वासघात है ऐसा ज़ख्म दिल का,
जो हर वक्त ही रिसता रहता है।
कहने को तो सब संभव है दुनिया में,
पर विश्वासघात भुलाना असंभव है,
ये एक ऐसा दर्द है ज़िंदगी का,
जिसका इलाज मुश्किल से होता है।
रह जाते हैं साथ फिर बीते लम्हे,
जिनसे दिल बेचैन सा हरदम रहता है,
जीवन हो जाता है बिलकुल नीरस सा,
जब अपना कोई विश्वासघात करता है।