" विश्व शांति "
" विश्व शांति "
लगा लूँ पंखहाथों मेंक्षितिज के पारउड़ जाऊँमिलूँ मैं सारीदुनियाँ सेसभी काप्रेम मैं पाऊँनहीं नफ़रत सेजीना हैरहेंगे शांति सेहम सबनहीं होगीकभी रंजिशमिलेंगे प्यार सेहम सबलड़ेंगे हमतो बिखरेंगेन कोई साथमें होगामिटेगी अपनी हीहस्तीन कोईकाम ही देगारहेंगे जन्मोंतक पीछेयदि संग्राम में उलझेनहीं कोईकाम ही होगारहेंगे हम नहीं सुलझेकरेंगे हमभ्रमण जग कासभी कोहम जगाएँगेरहें हमएक गुलशन मेंयही सब को बताएँगे !!=================डॉ लक्ष्मण झा परिमल20.10.2024