विरह
विरह
विरह के दर्द में
बीत रहा था पल पल
हम आने की उम्मीद में
पलकें बिछाये थे
बड़े अजीब से हालातों में
यादों को हम संजो कर
बेमौसम प्रेम के
फूल यूँ सजाये थे
एक बूँद थी रुकी
आँख के कोरों में क्यों!
मन की गहराइयों में
वेदना कोई छुपाये थे.
विरह के दर्द में
बीत रहा था पल पल
हम आने की उम्मीद में
पलकें बिछाये थे
बड़े अजीब से हालातों में
यादों को हम संजो कर
बेमौसम प्रेम के
फूल यूँ सजाये थे
एक बूँद थी रुकी
आँख के कोरों में क्यों!
मन की गहराइयों में
वेदना कोई छुपाये थे.