विकास का मूलमंत्र
विकास का मूलमंत्र
देश को स्वतंत्र हुए बीत चुके हैं,
पूरे के पूरे चौहत्तर साल।
लगभग तीन -चौथाई सदी बीती,
फिर भी बुरा है वतन का हाल।
देश के कितने सारे लोग,
बदहाली में जीवन बिता रहे हैं।
गरीबों के कल्याण के नाम पर,
गरीब लगातार छले जा रहे हैं।
टैक्स रूप में जनता से चूसा गया धन,
थोड़ा खैरात के रूप में दे मोह रहे मन।
दस साल में सबको समान करने का वादा,
साढ़े सात दशक तक अधूरा , क्या है इरादा ?
स्वतंत्रता मिलेगी जब हम खुद ही जागेंगे,
यूं न मिलेगी यदि हाथ फैलाकर हम मांगेंगे।
स्वतंत्र आज भारत है हर भारतीय स्वतंत्र है,
जागरूक रह श्रम करें, विकास का ये मूलमंत्र है।