Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

विजय

विजय

1 min
1.4K


शुरुआत हैं, विश्वास रखो,

सुन्हेरा कल हैं, आगे बढ़ो।


धूप हैं, छाया स्वयं बनो;

तलवार उठाओ, खुद अपनी सहायता करो,

डटे रहो, गिरकर फिर उठो;

विजयी बनो, मेहनत का रास्ता अपना लो।


पत्थरों से घबराओ नहीं, धैर्य धरो;

चट्टानों को पार कर जाओगे, विश्वास रखो।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Vinita Jain

Similar hindi poem from Action