वीरों की जन्मभूमि
वीरों की जन्मभूमि
हैं यही कर्म भूमि, वीरों की जन्मभूमि।
घर घर मे जन्म लेता भारत वीर पुत्र
करने को प्राण उत्सर्ग अपने मातृभुमि पे,
माई के मस्तक को ऊंचा कर हिमाल से
ये अपना है कुमाऊ और गढ़वाल।।
है यही कर्म भूमि, मेरे वीरों की जन्म भूमि।।
घर घर मे जन्म लेता भारत वीर पुत्र
देवों की जन्म भूमि पे देवों का वरदान है
मिटने को देश पे जज़्बा ये महान है।
ये अपना कुमाऊ और गढ़वाल है।।
देश पे मरने को भावना यही बढ़े,
जन्म से भी पहले वर मिला है देवी से।
रखनी है लाज तुम को भरत देश की आज।।
शक्ति और भक्ति को करना है साकार,
दुश्मनों के जिंदगानी को करके तार तार।।
देखे जो तिरछी और नीच भावना से
वीर मेरे देश के प्रबल है
करने को उनका सामना
न झुकने देगा शीश हिमालय का,
जब तक रहे देह में प्राण तत्व का।
है यही कर्म भूमि, मेरे वीरों की जन्म भूमि।।
ये अपना है कुमाऊ गढ़वाल
घर घर मे जन्म लेता है जवान, भरत वीर पुत्र महान।।
जय हिंद, जय भारत।। जय माँ दूनागिरि।।