वीर सपूतों की धरणी
वीर सपूतों की धरणी
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तू एक कड़ी है
वक्त के ज़ंजीर का
तू एक कड़ी है
समय के प्राचीर का I
यूँ ही न जा दुनियाँ से
सौंप दे जो पाया पीढ़ी से पीढ़ी पर
एक उजाला है स्वतंत्रता
जो आई अंधेरे से निकलकर I
ये ऐसे न था पर्व
मनाने के लिये
जान निछावर किये कई
इसे पाने के लिये I
तू कर कर्म
पीढ़ी को क़ीमत बताने के लिए
अमर रहें वे वीर बलिदानी
अपना सम्मान पाने के लिए I
अमर रहे स्वतंत्रता
अमर रहे वे करनी
शत शत नमन
वीर सपूतों की धरणी।