विचार
विचार
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अनजान सी उस सड़क पर
मुड़ते ही एक मोड़
एक विचार सा ठिठक
खड़ा हो गया राह में
उसका देखते रहना
एकटक इस तरह
कर गया असहज मुझे
नहीं समझ पा रहा हूँ मैं उसे
या समझना नहीं चाहता
उससे पीछा छुड़ा भाग जाना चाहता हूँ।
चलता गया मैं अपनी राह
सड़क के कोने पर
मुड़कर देखता हूँ पीछे
विचार अभी भी खड़ा है उसी मोड़ पर
देख रहा है मुझे
उसे छोड़ यूँ जाते हुए।
क्या छोड़ चला हूँ मैं उसे
सड़क के उस मोड़ पर
क्या छोड़ सकता हूँ मैं उसे
ये भ्रम है मेरा
विचार अभी तक खड़ा है
उसी मोड़ पर
उसकी निगाहों को
महसूस कर रहा हूँ पीठ पर
जोह रहा है बाट वह
मेरे वापस लौटने की।