उज़ास भरी धूप
उज़ास भरी धूप
एक आस बंधाई है नई सुबह ने,
अब निराशा के बादल छँट जाएंगे !
परिश्रम रूपी सशक्त औज़ार से,
किस्मत की नई आकृति रच जाएंगे !
बेहद घना अंधेरा छाया हो तब भी,
अब उम्मीद उजास रूपी धूप खिलेगी !
उदास ना हो रे मेरे भोले भाले मन,
मन की सोच अपने अनुरूप मिलेगी !
मन में ठान लिया है तो अब पीछे ना हटना,
अपने कर्म और लक्ष्य को सदा आगे रखना !
कभी अपने आप पर विश्वास ना कम करना,
एक दिन अपना नाम सुनहरी स्याही से लिखना !