उठ जाग अब तु
उठ जाग अब तु
उठ जाग अब तू !
मंज़िल की तरफ भाग अब तू,
इधर - उधर झाँक न अब तू,
पीछे मुड़कर ताक न अब तू,
उठ जाग अब तू।
कर आखिरी प्रयास अब तू,
कर अंतिम प्रहार अब तू,
देख न किसी का आश अब तू,
उठ जाग अब तू।
मंज़िल की तरफ भाग अब तू।
कर दे फिर शुरूआत अब तू,
शून्य से शिखर तक पहुँचने का
रख अपने अंदर जज्बात अब तू।
लोगों के कहने से बदल न सफर की बारात अब तू।
उठ जाग अब तू !
मंज़िल की तरफ भाग अब तू।
रूकावटें आएंगी तेरे राह में बहुत ही,
इनसे जुझकर सदा आगे की तरफ भाग अब तू !
राह में पड़े रोड़े को भी जरा अब सँभाल अब तू।
उठ जाग अब तू !
तू लड़ अब अपने अस्तित्व के लिए,
खोने को बचा ही क्या है तेरे पास,
जो पहले मिले उसे पा लेने का कर
अभी से ही अभ्यास अब तू।
उठ जाग अब तू।
मंज़िल की तरफ भाग अब तू।
सफर बहुत ही सुहाना होगा,
बस एक बार सच्चे मन से
कर ले उससे मुलाकात अब तू।
उठ जाग अब तू !
उठ जाग अब तू !