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दयाल शरण

Romance

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दयाल शरण

Romance

उत्कंठा

उत्कंठा

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बड़ी खामोश धड़कन है

ज़रा इस दिल को बहलाओ

हवा भी और मध्यम है

कोई हलचल तो फैलाओ


तुम आओगे तसव्वुर है

यही इक हौसला कह लो

दरम्यां फासला जो है

फ़िज़ा को सूफियाना कर लो


तुम्हारे आने से उठते हैं

उन्हें इतना तो समझाओ

ख़ुदा नाराज़ होता है

कुफ्र इतना ना बन जाओ 


रात का आखिरी पहर है

चुनांचे अब तो आ जाओ

बस इक मुस्कान देनी है

मुझे छूकर चले जाओ


हवा भी और मध्यम है

कोई हलचल तो फैलाओ

बड़ी खामोश धड़कन है

ज़रा इस दिल को बहलाओ



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