उसने निष्कासित किया
उसने निष्कासित किया
उसने निष्कासित किया अपने घर से
जिसके हृदय में कभी न बसी,
जिसके अधरों पर राधा-सी न सजी,
जिसके संगीत में सरगम-सी न बजी,
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसके प्रेममय प्रसंगों में मधु-सी न गूँजी,
जिसकी बांसुरी में धुन-सी न बजी,
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसके हृदय-द्वार पर फूलों-सी न महकी,
जिसके स्वरों में तरुनम-सी न बजी,
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसकी ग्रीवा में बाहों के झूलों-सी न झूली
जिसके कानों में मोह की पैजनिया-सी न बजी
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसके हाथों में भार्या की लकीरे-सी न खींची,
जिसके साजों में मोहक गीतों-सी न बजी
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसके नैनों से ईश्क के आँसुओं-सी न बरसी,
जिसकी बारिश की बूंदों में घुंघरू-सी न बजी,
उसने निष्कासित किया अपने घर से।
जिसके मुस्कुराने की वजह-सी न बनी,
जिसकी हंसी की खनक-सी न बजी,
उसने निष्कासित किया अपने घर से।