उस घर में काशी काबा मथुरा वृंदावन होगा
उस घर में काशी काबा मथुरा वृंदावन होगा
जिस घर में भी संस्कारों की परिभाषाएँ हैं,
जिस घर का भी हर जनमानस कभी न करता निंदा हैं।
काम, क्रोध से लोभ मोह से दूरी जो भी रखता है,
वह मानव ही इस जीवन का मोल अदा कर सकता हैं।।
धर्म, अर्थ सा कर्म मोक्ष पर जिस घर में मंथन होगा,
मान और मर्यादा वाला जहाँ मधुर बंधन होगा।
उस घर में होगी कभी न चिंता होगा तो चिंतन होगा,
बच्चा, बच्चा भी रघुनंदन या वासुनंदन होगा। ।
जिस घर की मंशा केवल निश्चल निर्मल रहती हैं,
पानीदार प्राणी हो वहां गंगा - यमुना बहती हैं।
जिस घर आंगन में तुलसी का एक पौधा पावन होगा,
जिस घर में हिलमिल रिश्तों का नित अभिनंदन होगा।
उस घर में काशी ,काबा, मथुरा वृंदावन होगा।