उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन
उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन
नदियाँ रोयीं पर्वत रोये, फूट- फूट कर करुणा रोयी ।
श्वेत कबूतर सरहद वाले रोये भारत माता रोयी ।
जो जाते-जाते भी जग के, हृदयों को निर्मलता देकर..
मानवता का पाठ पढ़ा दें, उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन ...।।
जहाँ झूठ का पहरा गहरा, और निराशा की आँधी हो ।
राजनीति छल से प्रेरित हो, लोभी सत्ता मदमाती हो ।
ऐसे गहन अँधेरों में भी, जो नैतिकता के शस्त्रों से...
सहज सत्य को जीत दिला दें, उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन.. ।।
कुछ तो सपने सोती आँखों में ही पलते खो जाते हैं..
जगती आँखों वाले सपने अश्रु धार में धो जाते हैं ।
किन्तु समय की बंजर धरती, को श्रम से उर्वरता देकर..
जो सपनों के सुमन खिला दें, उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन ....।।
प्रेम जगत की मूल प्रकृति है, प्रेम जगत की अभिलाषा है ।
प्रेम अहिंसा का पूरक है, प्रेम समर्पण की भाषा है ।
किन्तु विरोधी आचरणों के, सम्मुख स्नेहिल मुस्कानों से..
जो पत्थर को भी पिघला दें, उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन..... ।।
आने वाला जाएगा भी, अटल सत्य है अटल रहेगा ।
जन्म -मृत्यु के बीच धार में, कौन रुका है कौन रुकेगा ।
किन्तु मृत्यु के शून्य प्रान्त पर, हँसते-हँसते विजय प्राप्त कर.
जो जीवन को अमर बना दें, उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन ....।।