उम्र का हिसाब
उम्र का हिसाब
जो मांगे जिंदगी कभी उम्र का हिसाब
तो लिख देना तमाम किस्सों पे किताब
हर पन्ने पे छोड़ देना रंगी मतवाली छाप
दुनिया भी जानें कि क्या चीज़ हैं आप..,
हर राह चाहे मंजिल की ओर ना जाए
घोसले का पंछी चाहे लौट के ना आए
बिछड़े साथी फिर कभी ना मिल पाए
चाहे अपने भी बिन बात के रूठ जाए,
तमाम कोशिशों पर बस ज़ोर है अपना
आवारा से कदम ना ठौर ठिकाना अपना
हम चल रहे हैं आगे अपनी नई डगर पे
पग पग पर ठोकर खाते रहे...
ना पूछे कोई नमो निशान अपना,
पर दिल याद करता है बिसरी बातें
खामोश चांदनी रात की मुलाकातें
चाक से लिखे कच्चे फर्श पे आयतें
मां बाबा की समझी संभली हिदायतें,
इस उम्र को हर पल शिद्दत से जिया है
दुख को अपनाया और सुख को बांटा है
सही गलत की कचहरी से आजाद हुए हैं
कुछ पल ऐसे भी थे जब लोगों को....
हम पे फिक्र नहीं...फक्र हुआ है
फक्र हुआ है, हां फक्र हुआ है,
फिर भी...
जो मांगे जिंदगी कभी उम्र का हिसाब
तो लिख देना तमाम किस्सों पे किताब
हर पन्ने पे छोड़ देना रंगी मतवाली छाप
दुनिया भी जानें कि क्या चीज़ हैं आप..