उम्मीदों का कल
उम्मीदों का कल
आई मुश्किल, डरना कैसा,
मिलजुल कर हम हल ढूंढेगे।
ग़म की धूप हमें झुलसाए,
फ़िर भी हम बादल ढूंढेगे,
आज बहुत है घना अंधेरा,
नज़र नही आता कल हमको।
ना उम्मीदी के साए में,
उम्मीदों का कल ढूंढेगे।
आई मुश्किल, डरना कैसा,
मिलजुल कर हम हल ढूंढेगे।
ग़म की धूप हमें झुलसाए,
फ़िर भी हम बादल ढूंढेगे,
आज बहुत है घना अंधेरा,
नज़र नही आता कल हमको।
ना उम्मीदी के साए में,
उम्मीदों का कल ढूंढेगे।