उम्मीद लगाए क्यूं बैठा
उम्मीद लगाए क्यूं बैठा
ज़ख्म तेरे है अगर
तो दर्द भी तुझे होगा,
फ़िर मरहम कोई दूसरा लगाए
ऐसी उम्मीद लगाए क्यूं बैठा।
उलझनें तेरी है
और सवाल भी तेरे है ,
फ़िर जवाब किसी दूसरे से मिले
ऐसी उम्मीद लगाए क्यूं बैठा।
गुनाह तेरे हैं
फिर सज़ा भी तेरी होगी,
माफ़ी कोई और करे
ऐसी उम्मीद लगाए क्यूं बैठा।
जिंदगी तेरी है
इसमें कारवां भी तेरा है,
इसके सफ़र में साथ कोई और चले
ऐसी उम्मीद लगाए क्यूं बैठा ।