उम्मीद की डोर को एक कलावे की तरह
उम्मीद की डोर को एक कलावे की तरह
आने वाला पल क्या और
जाने वाला पल क्या
समय सामान्य गति से भी
चलता रहे
हर किसी के जीवन में
बिना शोर शराबा
हलचल और
उठा पटक के तो
बड़ी बात होती है
समय कितना भी बुरा और
चुनौती पूर्ण क्यों न हो
हिम्मत तो कभी हारनी ही नहीं चाहिए
उम्मीद की डोर को तो
एक कलावे की तरह
हर किसी को
अपनी कलाई पर बांधे रखना चाहिए
और अपने सपनों को पूरा करने की चेष्टा
निरंतर करते रहना चाहिए
जितना चाहा
भले उतना नहीं मिलेगा लेकिन
कुछ तो मिलेगा
कुछ न करने से तो
हमेशा कुछ करना ही बेहतर
होता है
एक एक कदम बढ़ाने से
रास्ता तो पार होता है
मंजिल भी मिलती है
लेकिन कई बार
संतुष्टि नहीं होती जो
होनी चाहिए
जब तक सांस है
आस होनी चाहिए
कोशिश करते रहना चाहिए
लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना
चाहिए
बाधाओं से डरना नहीं चाहिए
इस जमीन पर ही तो
चलना है
इस दुनिया में ही तो
कुछ पाना है
जितना जीवन किसी
मनुष्य के पास है
उसमें अपनी क्षमता,
हुनर और मेहनत से ही
तो कुछ पाना है
सांसो की लय पर ही तो
थिरकना है
समय के दायरे में ही तो
विचरना है
अपने पांवों से
धीरे धीरे पग भरते
धरती को ही तो नापना है
कौन सा एक परिंदे सा
पंख फैलाकर
चांद के पार जाना है।