उड़ान
उड़ान


बस एक उड़ान
मेरे सपनो की बची है,
खुद की कहानी
मैंने खुद ही रची है,
ख़्वाबों के शहर में बसने का
मेरा इरादा पक्का है,
अपने सारे अरमानों को
अच्छे से सहेज कर रखा है,
हौसलें की लहर
दौड़ती बदन में मेरे,
अब ना एक पल की थकान है,
कैद होकर बरसों गुजरे
अब किस्मत में लिखा उड़ान है,
मन भौरों सा मंडराता रहता हैं,
चारों ओर जलते सूरज का निशान है,
हुनर सिखा है इस जहा मे
पढ़ा लिखा क्या इतिहास क्या भूगोल है,
एक चमक आंखों में मेरी
गौर से देखा तो हाथ मे फुटबॉल है,
हर कोई कद से बढ़कर
अपनी ऊंचाई चाहता है,
गूंजता चारो ओर है
अब कुछ कर गुजरने की शोर है,
अब नई उमंगों से
नई कहानी तैयार है,
तपना पड़ा मुश्किलों से
तब जाकर मनचाहा निखार है,
कितने दर्द मेरे
कितने मरे एहसास हुए,
ख्वाहिशों के पन्नो पे
लिखने को प्रेरित हर बार हुए।