उच्च भाव
उच्च भाव
निर्मल जन ही भगवान् को,हृदय में पाते हैं,
कपट छल छिद्र उन्हें नहीं ,ज़रा भी भाते हैं।
ज़रा भी भाते हैं ,नहीं उन्हें दंभ दिखावे,
ध्यान समाधि परिणत,आनन्द पार न पावे।
कहै ‘प्रभा’ करजोर , यह अनुभव है विमल,
वर्णन नहीं हो सके, सबसे बड़ा लाभ निर्मल। ।
सभी काम करो बुद्धि से,जीवन जियो शुद्धि से,
एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोग से।
संघर्ष भरित जीवन,मूल्यों के लिये प्रतिबद्ध,
भरोसा रहे अटल, जीवन रहे नियमबद्ध ।
कहै ‘प्रभा’ करजोर,साधना रत हो शुद्धि से,
अनुभव साथ लेकर, सभी काम करो बुद्धि से। ।
उच्च भाव देशप्रेम का,सार्थक प्रयास होय,
जीत होती शानदार, संघर्ष बड़ा जब होय।
संघर्ष बड़ा जब होय,विचार प्रबल होता,
जैसा विचार बने, वैसा ही प्रकट होता।
कहै ‘प्रभा’ करजोर, खुदी का बुलन्द हो भाव,
बनोगे ताकतवर,लेकर मन में उच्च भाव।।