तुम्हारे हाथ
तुम्हारे हाथ
ये जो हम सूली पर टंगे हैं
तुम्हारे हाथ खून से रंगे हैं
ये जो तुम बने हो न्याय कर्ता
तुम्हारे इन्साफ, बेइंसाफी से भरे पड़े हैं।
जिनके पास नहीं है, वकील, दलील, सबूत, गवाह
कैदेबामुशक्कत से जेल में भरे हैं।
दो लोगों की सुनकर फैसला देने वाला
बहुत से शरीफ, अपराधी बने हैं।
तुम्हारे अवकाश, अगली पेशी के फ़ेर में
न जाने कितने जीवन बंदी पड़े हैं
जिनके पास पैसा नहीं उसका क्या
पैसे वाले न्याय खरीदकर, आराम से अगले
शिकार पर निकल पड़े हैं।
मैं बेकसूर हूं, हर अपराधी यही कहता है
इसलिए हम चुपचाप कटघरे में खड़े हैं
तुमने लिख दिया काग़ज़ पर सजाए मौत
बेगुनाहों के कातिल धर्माधिकारी बने हैं।
हम कातिल बनाकर पेश किए गए
क्योंकि हमारी जेब में सूखे पड़े हैं
तुम्हारा फैसला भी आखिर मौत हुआ
तुम्हारे हाथ हत्याओं से सने पड़े हैं।