तुम्हारा साथ।
तुम्हारा साथ।
तुम्हारे साथ का हर पल ख़ुशी से आज जी जाऊँ,
तुझसे तुमको ही चाहूँ, जहां मैं हूँ वहीं पाऊँ।
ख्वाबों से जगी हूँ अब,खामोशी इनायत है,
तुम मेरी नींद ले सोये, दिल की ये शरारत है।
मुहब्बत की तो फ़ितरत है दीवानी कही जाऊँ,
जहां को भूल बैठी हूँ तुम्हें भी खुद में ही पाऊँ।
नज़रों के हँसीं वादे इतना क्यूँ सताते हैं,
चाहत की पनाहों में श्वासों में बसाते हैं।
ख़ुदा तुममें नज़र आये यूँ जन्नत को यहीं पाऊँ,
मधुर गीतों की लहरों के तरंगों में बही जाऊँ।