तुम्हारा साथ...!!
तुम्हारा साथ...!!
मैं तुम्हारे साथ
बिना विश्राम
हाथों में हाथ लिए
चलना चाहती हुं।
जीवन के किसी मोड़ से
उसके गंतव्य तक
पहुंचना चाहती हूं।
मैं तुम्हारे साथ
भोर के शुरआत से
रात के अंतिम पहर तक
रहना चाहती हूं।
पृथ्वी के एक छोर से
दूसरे छोर तक
देखना चाहती हूं।
मैं निभाना चाहती हूं
तुम्हारा साथ
दुख के अंधकार से
सुख के प्रकाश तक।
जीवन रूपी इस सफर में
बस तुम साथ निभा लेना
मेरे अंतिम यात्रा तक।