तुम उतना ही समझना
तुम उतना ही समझना
हम उतना ही
कह पाते है
तुम जितना सुन
नहीं पाते हो
हम उतना ही
उड़ पाते है
तुम जितना चल
नहीं पाते हो
आसान बहुत है
सुनना और चलना
तुम यह भी
नहीं कर पाते हो
क्या कहे तुम्हें
दिल की बातें
तुम भाषा तो
पढ़ लेते हो
पर भाव नहीं
पढ़ पाते हो
असल - नक़ल का
भेद बुरा है
तुम दोनों ही में
माहिर हो
हम ज़ाहिल है
या काहिल है
तुम साफ़ नहीं
कह पाते हो
घूम चुके तुम
जग में बहुत
पर मन तक
नहीं पहुंच पाते हो
पाया है बहुत
कुछ तुमने
काश! उसको समझो भी
खोना भी कुछ पाना है
राज़ यह तुम
कभी समझो भी
तुम पाकर के
नहीं पा सकते हो
हम खोकर के
पा जाते है
कुछ तो असर है
तासीर में तुम्हारी
हम दूर जाकर भी
पास आ जाते है.....