तुम पढ़ लेना
तुम पढ़ लेना
तुम पढ़ लेना ....
नयनो की भाषा को
मेरे मन की अभिलाषा को
सपनो की कतरन को
जज़्बातों की उलझन को
तुम पढ़ लेना.......
मन के अधिकारों को
मेरे संस्कारो को
दिल की मुस्कानों को
ज़ज़्बातों के तुफानो को
तुम पढ़ लेना....
मेरे हिस्से के आकाश को
मेरे जीवन के प्रकाश को
मेरे समर्पण को
इस मन के दर्पण को
तुम पढ़ लेना...
बढ़ती उम्र के दबाव को
पोपले मुँह के भाव को
सफेद होते बालो को
संग गुज़रे सालो को
तुम पढ़ लेना....
जीवन की ढलती शाम को
मेरे संग तुम्हारे नाम को
बस तुम पढ़ लेना
तुम पढ़ लेना।।