तुम पर कविता
तुम पर कविता
किसी एक दिन,
मैं लिखना चाहती हूं,
तुम पर अपनी सबसे,
प्यारी कविता।
चाहती हूं लिखूं,
लिखूँ की कब कब,
बिन बताए तुम रो पड़े हो,
मेरी याद में ।
चाहती हूं कि,
कह दूं लफ्जो में खुल कर,
कि सिर्फ तुम करीब हो,
मेरे हर गम में।
चाहती हूं कि,
जताऊं प्यार अपना तुमको,
किसी दिन भूलकर,
अपने आप को।
पर शायद ही,
कभी लिख पाऊं दो शब्द,
केवल तुम्हारे लिए
अपने प्रेम के।
मैंने पाया है हमेशा
नजर लगती है मेरी ही
सोचने भर से हमारे
पल दो पल को।
पर बिन लिखे
फिर भी पढ़ती हैं तुम्हे
मेरी सारी प्रेम कविताऐं ।