तुम मेरे लिए कौन हो ?
तुम मेरे लिए कौन हो ?
तुम मुझसे ये मत पूछा करो कि तुम मेरे लिए कौन हो?
जैसे बहुत मुश्किल होती है ,
किसी को सच और सही को समझाने में ।
वैसे ही मुझे ढूँढने पर भी शब्द नहीं मिलते हैं ,
तुम्हारी अहमियत अपनी जिंदगी में बताने को ।
कुछ कहने की कोशिश करूँ ,
तो मैं कहूँगा कि तुम वो हो ,
जिसको मैं अक्सर लिखता और मिटाता हूं ।
तुम मेरे लिए वो गीत हो ,
जिसको मैं अक्सर गुनगुनाता हूँ ।
तुम मेरी सबसे अच्छी कहानी का सबसे खूबसूरत किरदार हो ।
मेरी कविताओं को जो जीवित बनाये,
तुम वो श्रृंगार हो ,
तुम वो इत्र हो ,
जिसने मेरी जिंदगी महकाई है ।
भरे तूफान में मिलने जो मिले,
वो साहिल हो।
तेज़ लहरों के बाद मिला हुआ किनारा हो ।
जेठ की धूप में ,
तुम बरगद की छांव हो ।
भवँरो के बाद भी जो सागर पार लगाये,
तुम वो नाव हो ।
मुश्किल भरी काली रात में भी जो साथ ना छोड़े ,
तुम उस चाँद के समान हो ।
फिर से मैंने कोशिश तो की है ,
तुम्हारे बारे में लोगो को बताने की ।
पर फिर से कम पड़ गए शब्द,
तुम्हारी अहमियत अपनी ज़िंदगी में बताने को ।
पर ये कोशिश मैं आखिरी सांस तक करता रहूंगा ।
अपनी भावनाओं को शब्दों में गढ़ता रहूंगा ।