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सोनी गुप्ता

Romance

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सोनी गुप्ता

Romance

तुम कहीं हो और हम कहीं

तुम कहीं हो और हम कहीं

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आज तुम कहीं हो और हम कहीं, 

हमारे तुम्हारे बीच वो दरमियान कहीं, 


किस्मत से मिलते रिश्ते प्यार भरे, 

लगता जैसे तुम भी यहीं और हम भी यहीं, 


मुकद्दर का खेल कहो या फिर वक्त का तकाजा, 

अभी भी दिल में है तुम्हारा नामोनिशान कहीं, 


बिखरी यादों को समेट रहा हूँ कब से, 

सोचता हूँ हमसे छूट ना जाए ये यादें कहीं, 


तेरे जाने के बाद भी तेरा इंतजार करता रहा, 

जवाब ढूँढता जागते सोते हुए हर सवालों में कहीं, 


आज ढूँढ रहा था, तुम्हारी यादों को जब मैं

कुछ चिट्ठियां पड़ी मिली दराजों में कहीं,


मुझसे दूर जाने के बाद तुमने वो खत फाड़े तो ना होंगे, 

जैसे मुझे मिले वो खत तुमने भी तो रखे होंगे कहीं


आज तुम कहीं हो और हम कहीं, 

हमारे तुम्हारे बीच वो दरमियान कहीं, 


थोड़ा तो वक्त देते हमें संभलने का, 

आज यूँ हम अजनबी की तरह ना दिखते कहींI


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