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Vishabh Gola

Romance Others

4.0  

Vishabh Gola

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"तुम एक बार आकर तो देखो"

"तुम एक बार आकर तो देखो"

1 min
140


पलकें बिछाए बैठे हैं 

चाँद की छांव में!

फीकी सी है चमक चाँद की

आज हमसे वो नाराज़ है,

चाँद की चांदनी भी तुम्हारी मोहताज़ है,

चांदनी को भी पसंद तुम्हारा ही अंदाज़ है,

ज़रा चाँद की चांदनी को उससे मिला कर तो देखो,

तुम एक बार आ कर तो देखो!


सामने भले ही लबों पर सूनापन है,

नगमे तुम्हारे गाता हर वो पल है,

लबों की दीवान में अल्फ़ाज़ फकीर है,

दिल के हर पन्नों में अल्फ़ाज़ खूब अमीर है,

तुम एक बार पढ़ कर तो देखो!


आँखें जो नशीली है इनमें तुम्हारा ही खुमार है,

एहसास तुम्हारा मन में रहता हर बार है,

झुक कर पलकें देती जो पहरा हैं

महफूज़ रखे, हमारे महबूब का वो चेहरा है!

ज़रा महसूस करके तो देखो

तुम एक बार नज़रें मिला कर तो देखो!


हालात ऐसे हैं, जैसे तन्हा चलता कोई राही हो!

मंज़िल तो क्या दुनिया भी जीत ले

कमी बस उसे अपने साथी की हो,

अरमानों को दबाए मजबूरी में चल रहा है

अपने साथी के इंतज़ार में वो जल रहा है

ज़रा हाथ बढ़ा कर तो देखो

तुम एक बार साथ निभा कर तो देखो!

तुम एक बार आकर तो देखो!



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